Home Career महामंदी वायरस के मजबूत संकेत , 90 साल बाद आएगा ऐसा संकट

महामंदी वायरस के मजबूत संकेत , 90 साल बाद आएगा ऐसा संकट

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महामंदी वायरस के मजबूत संकेत , 90 साल बाद आएगा ऐसा संकट

वाशिंगटन, 10 अप्रैल . पूरी दुनिया को अपनी जकड़ में लेने वाले कोरोन वायरस के कारण सभी देश परेशान हैं और इसका इसका विपरीत असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा है कि 2020 का साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए काफी खराब रहने वाला है. आईएमएफ का अनुमान है कि इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 1930 के दशक की महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी.

आईएमएफ की निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा कि 2020 में दुनिया के 170 से अधिक देशों में प्रति व्यक्ति आय घटेगी. उन्होंने अगले सप्ताह होने वाली आईएमएफ और विश्वबैंक की बैठक से पहले संकट से मुकाबला- वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए प्राथमिकता विषय पर अपने संबोधन में कहा कि आज दुनिया ऐेसे संकट से जूझ रही है जो उसने पहले कभी नहीं देखा था. कोविड-19 ने हमारी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को कार्फी तेजी से खराब किया है. ऐसा हमने पहले कभी नहीं देखा था.

उन्होंने कहा कि इस वायरस से लोगों की जान जा रही है और इससे मुकाबले के लिए लॉकडाउन करना पड़ा है, जिससे अरबों लोग प्रभावित हुए हैं. कुछ सप्ताह पहले सब सामान्य था. बच्चे स्कूल जा रहे थे, लोग काम पर जा रहे थे, हम परिवार और दोस्तों के साथ थे. लेकिन आज यह सब करने में जोखिम है.

जॉर्जिवा ने कहा कि दुनिया इस संकट की अवधि को लेकर असाधारण रूप से अनिश्चित है. लेकिन यह पहले ही साफ हो चुका है कि 2020 में वैश्विक वृद्धि दर में जोरदार गिरावट आएगी.

उन्होंने कहा कि हमारा अनुमान है कि हम महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखेंगे. सिर्फ तीन महीने पहले हमारा अनुमान था कि हमारे 160 सदस्य देशों में 2020 में प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी. अब सब कुछ बदल गया है. अब 170 से अधिक देशों में प्रति व्यक्ति आय घटने का अनुमान है.

जॉर्जिवा ने कहा कि इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए आवश्यक पाबंदियां लगाई गई हैं, जिससे दुनिया की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंच रही है. विशेष रूप से खुदरा, होटल, परिवहन और पर्यटन क्षेत्र इससे प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा कि ज्यादातर देशों में अधिकांश श्रमिक या तो स्वरोजगार में लगे हैं या लघु एवं मझोले उपक्रमों में कार्यरत हैं. इस संकट से ऐसी कंपनियां और श्रमिक सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.

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