Home Hindi News पंजाब में आधा अधूरा लोकपाल , पंजाब ने लोकायुक्त बिल को स्वीकृति दी ,

पंजाब में आधा अधूरा लोकपाल , पंजाब ने लोकायुक्त बिल को स्वीकृति दी ,

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पंजाब में आधा अधूरा लोकपाल , पंजाब ने लोकायुक्त बिल को स्वीकृति दी ,

पंजाब में आधा अधूरा लोकपाल , पंजाब ने लोकायुक्त बिल को स्वीकृति दी ,
मुख्यमंत्री , मंत्री सभी होंगे दायरे में,परन्तु दो तिहाई विधायकों की स्वीकृति जरूरी

चंडीगढ़, 2 मार्च ( पी 2 पी ):
कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने अपने चुनावी वायदे को पूरा करने की दिशा में कदम उठाया है। आज मंत्रिमंडल की बैठक में पंजाब लोकायुक्त बिल, 2020 को मंज़ूरी दे दी जो, मुख्यमंत्री तक सार्वजनिक पदों पर काम कर रहे सभी को कवर करेगा।
पंजाब कैबिनेट का यह फ़ैसला मौजूदा पंजाब लोकपाल एक्ट, 1996 को रद्द कर देगा और नया कानून मुख्यमंत्री, मंत्री, सभी सरकारी कार्यालयों के सरकारी और ग़ैर सरकारी अधिकारियों पर लागू होगा, जिससे राज्य सरकार का भ्रष्टाचार मुक्त बेहतर प्रशासन मुहैया करवाने का उद्देश्य पूरा होगा।

बड़े स्तर पर सुधारों के उपाय के द्वारा राज्य में सार्वजनिक पदों पर काम करने वालों के खि़लाफ़ शिकायतें और आरोपों की पड़ताल और लोकायुक्त की नियुक्ति और इसके साथ जुड़े मामलों की व्यवस्था करने के लिए एक स्वायत्त संस्था की परिकल्पना की गई है। लोकायुक्त के पास सिविल प्रोसीजर कोड 1908 अधीन सिविल कोर्ट के सभी अधिकार होंगे। यह झूठी शिकायत के मामले में मुकद्मा चलाने का भी प्रबंध करेगा।
नये कानून के अंतर्गत मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों के खि़लाफ़ मुकद्मा चलाने की मंज़ूरी तब ही दी जा सकती है ,अगर सदन दो-तिहाई बहुमत से पास करेगा। इसके अलावा विधानसभा द्वारा मुकद्मा चलाने की आज्ञा दी जाती है या नहीं, उसके लिए लोकपाल पाबंद होगा।
सरकारी प्रवक्ता ने बिल की प्रमुख व्यवस्थाओं बारे जानकारी देते हुए बताया कि नोटिस जारी करने से पहले सभी शिकायतों की पड़ताल लोकपाल की सक्रीनिंग कमेटी द्वारा की जाऐगी। स्क्रीनिंग कमेटी इस बारे में सरकार की राय भी लेगी।
यह कानून किसी भी अधिकारी/सार्वजनिक पद पर काम करने वालों के खि़लाफ़ शिकायत की समानांतर पड़ताल को रोकता है यदि लोकपाल द्वारा इसकी जांच की जा रही है। इसी तरह लोकपाल के पास भी उस मामले की समानअंतर जांच करने का अधिकार नहीं होगा जिसकी जांच पहले ही सरकार द्वारा की जा रही है।
लोकायुक्त का एक चेयरपर्सन होगा जो हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का जज हो या रह चुका हो। सदस्यों की संख्या चार से अधिक नहीं होनी चाहिए जो सरकार की तरफ से नियुक्त किये जाएंगे। लोकायुक्त के सदस्यों में से कम से -कम एक मैंबर अनुसूचित जाति या पिछड़ी श्रेणी या अल्पसंख्यक या महिला ज़रूर हो। लोकायुक्त के मैंबर प्रतिष्ठावान होने चाहिए जिन पर कोई भी दोष न हो।
चेयरपर्सन और सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा चयन समिति की सिफारिशों केबहुमत के आधार पर की जायेगी। चयन समिति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होगी जिसमें विधानसभा के स्पीकर, विपक्ष के नेता, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस और पंजाब सरकार द्वारा मनोनीत किया गया एक प्रख्यात कानूनी माहिर मैंबर होगा।

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