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पंजाबी साहित्यकार जसवंत सिंह कँवल नहीं रहे।

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पंजाबी साहित्यकार जसवंत सिंह कँवल नहीं रहे।

चंडीगढ़ , 1 फरवरी ( पी 2 पी ): पंजाबी के नामी साहित्यकार जसवंत सिंह कंवल का निधन पंजाब के मोगा के ढूढ़ीके में हो गया है। वे 100 वर्ष के थे। जानकारी अनुसार वे आज सुबह स्नानघर में स्नान करने गए , जहाँ पर उनकी मृत्यु हो गई। एक दिन पूर्व ही पंजाबी लेखिका और साहित्यकार दलीप कौर टिवाणा के देहांत हुआ है। और इससे पहले साहित्यकार सुरजीत हांस का देहांत हो चूका है। वे पंजाब के मोगा के गाँव ढूढ़ीके में 27 जून , 1919 को पैदा हुए थे। उन्हें वर्ष 2007 में पंजाबी साहित्य शिरोमणी अवार्ड से सम्मानित किया गया था। उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है, जिनमे कुछ चर्चित भी रही , जिनमे ‘लहू दी लौ ‘ एक थी, जिसमे नक्सलाईट आंदोलन का समर्थन किया गया था। भारत में इसका लोकार्पण नहीं हो सका क्योंकि तब देश में आपातकाल लागू था और कँवल में इसका लोकार्पण सिंगापुर में किया और बाद में ये नावल भारत में लाये गए। आपातकाल के बाद ही इस नावल का प्रकाशन पंजाब में हो सका। पंजाब में आतंकवाद के दौरान ये नावल फिर चर्चा और विवादों में रहा सामाजिक और लिंग भेद को लेकर भी उन्होंने कई पुस्तकें और नावल लिखे। बाद में उनकी लिखतों में उन्हें गर्मख्याली माना जाने लगा।
उन्हें वर्ष 2008 में गुरु नानक देव यूनीवर्सिटी से डॉक्टरेट की डिग्री दी गयी थी कँवल को उनकी पुस्तक पखी के लिए साहित्य अकादमी फ़ेलोशिप दिया गया था। उनका दाह संस्कार आज गाँव ढूढ़ीके में होगा।

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